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Friday, 27 December 2013

लगन तुमसे लगा बैठे, जो होगा देखा जायेगा।



लगन तुमसे लगा बैठे,
जो होगा देखा जायेगा।


तुम्हे अपना बना बैठे,
जो होगा देखा जायेगा॥


कभी दुनियाँ से डरते थे,
कि छुप-छुपकर याद करते थे।


लो अब परदा उठा बैठे,
जो होगा देखा जायेगा॥

कभी ये ख्याल था,
दुनिया हमेँ बदनाम कर देगी।


शरम अब बेच खा बैठे,
जो होगा देखा जायेगा॥



दिवाने बन गये तेरे,
तो फिर दुनिया से क्या डरना।


तेरी गालियोँ मेँ आ बैठे,

जो होगा देखा जायेगा॥

सलोनी सांवरी सूरत,
गले मेँ हार फूलोँ का।

निगाहोँ मेँ बसा बैठे,
जो होगा देखा जायेगा॥

तेरे दरबार आई हूँ,
फूल श्रद्धा के लायी हूँ।

तेरे चरणोँ मेँ आ बैठे,
जो होगा देखा जायेगा॥

तुम्हारे इक इशारे पर,
मैँ हूँ सर्वस्व दे सकती।

लो सबसे दिल हटा बैठे,
जो होगा देखा जायेगा!!

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