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Sunday, 23 November 2014

धरती की शान तू है मनु की संतान

धरती की शान तू है मनु की संतान,
तेरी मुट्ठियों में बंद तूफ़ान है रे.
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत,
मनुष्य तू बड़ा महान है.

तू जो चाहे पर्वत पहाडों को फोड़ दे,
तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे,
तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे,
तू जो चाहे धरती को अम्बर से जोड़ दे

अमर तेरे प्राण, मिला तुझ को वरदान,
तेरी आत्मा में स्वयं भगवान है रे.
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत,
मनुष्य तू बड़ा महान है.

नयनो से ज्वाल, तेरी गति में भूचाल,
तेरी छाती में छुपा महाकाल है.
पृथ्वी के लाल, तेरा हिमगिरी सा भाल,
तेरी भृकुटी में तांडव का ताल है.

निज को तू जान, जरा शक्ति पहचान,
तेरी वाणी में युग का आह्वान है रे.
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत,
मनुष्य तू बड़ा महान है.

धरती सा धीर, तू है अग्नि सा वीर,
तू जो चाहे तो काल को भी थाम ले.
पापों का प्रलय रुके, पशुता का शीश झुके,
तू जो अगर हिम्मत से काम ले.

गुरु सा मतिमान, पवन सा तू गतिमान,
तेरी नभ से भी ऊंची उडान है रे.
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत,
मनुष्य तू बड़ा महान है.

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