- सुभद्रा द्वारा कृष्ण को पत्र
- बीनती सुनीये....
- बीनती सुनीये, नाथ हमारी; बीनती सुनीये, नाथ हमारी,
- रदयेस्वर हरी रदयेस्वर हरी,
- रदयेस्वर हरी रदयेस्वर हरी;
- मोर-मुकुट पीतांम्बरधारी, बीनती सुनीये नाथ हमारी.
- जनम जनम की लगी लगन है, हो.....,
- जनम जनम की लगी लगन है,
- साक्सी तारोन भरा गगन है,
- गीन गीन स्वास आस कहेती है,
- आयेगा श्री कृष्ण मुरारी,
- बीनती सुनीये, नाथ हमारी,
- सतत प्रतीक्षा अपलक लोचन, हो ओ ओ,
- सतत प्रतीक्षा अपलक लोचन, हे भवबाधा, वीपती- वीमोचन, स्वागत का अधीकार दीजीये,
- सरणागत है नयन पुजारी,
- बीनती सुनीये, नाथ हमारी,
- ओर कहुं क्या अंतरयामी, हो ओ ओ,
- तन मन धन प्राणो के स्वामी;
- करुणा कर आखर येह कीजीये,
- स्वीकारी बीनती स्वीकारी,
- बीनती सुनीये, नाथ हमारी,
- हदयस्वर हरि हदयेस्वरी,
- हदयस्वर हरि हदयेस्वरी;
- मोर-मुकुट पीतांम्बरधारी,
- बीनती सुनीये, नाथ हमारी;
- बीनती सुनीये, नाथ हमारी;
- बीनती सुनीये.........नाथ हमारी.
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