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Saturday, 29 November 2014

चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है

चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है || ध्रु ||

हर शरीर मंदिर सा पावन हर मानव उपकारी है
जहॉं सिंह बन गये खिलौने गाय जहॉं मॉं प्यारी है

जहॉं सवेरा शंख बजाता लोरी गाती शाम है || 1 ||
जहॉं कर्म से भाग्य बदलता श्रम निष्ठा कल्याणी है

त्याग और तप की गाथाऍं गाती कवि की वाणी है
ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा निर्मल है अविराम है || 2 ||

जिस के सैनिक समरभूमि मे गाया करते गीता है
जहॉं खेत मे हल के नीचे खेला करती सीता है
जीवन का आदर्श जहॉं पर परमेश्वर का धाम है || 3 ||

Thursday, 27 November 2014

इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोश*िश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए। 

Sunday, 23 November 2014

धरती की शान तू है मनु की संतान

धरती की शान तू है मनु की संतान,
तेरी मुट्ठियों में बंद तूफ़ान है रे.
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत,
मनुष्य तू बड़ा महान है.

तू जो चाहे पर्वत पहाडों को फोड़ दे,
तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे,
तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे,
तू जो चाहे धरती को अम्बर से जोड़ दे

अमर तेरे प्राण, मिला तुझ को वरदान,
तेरी आत्मा में स्वयं भगवान है रे.
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत,
मनुष्य तू बड़ा महान है.

नयनो से ज्वाल, तेरी गति में भूचाल,
तेरी छाती में छुपा महाकाल है.
पृथ्वी के लाल, तेरा हिमगिरी सा भाल,
तेरी भृकुटी में तांडव का ताल है.

निज को तू जान, जरा शक्ति पहचान,
तेरी वाणी में युग का आह्वान है रे.
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत,
मनुष्य तू बड़ा महान है.

धरती सा धीर, तू है अग्नि सा वीर,
तू जो चाहे तो काल को भी थाम ले.
पापों का प्रलय रुके, पशुता का शीश झुके,
तू जो अगर हिम्मत से काम ले.

गुरु सा मतिमान, पवन सा तू गतिमान,
तेरी नभ से भी ऊंची उडान है रे.
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत,
मनुष्य तू बड़ा महान है.

प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढे चलो बढे चलो

हिमाद्री तुंग श्रृंग से,
प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयं प्रभो समुज्ज्वला,
स्वतंत्रता पुकारती 

अमर्त्य वीर पुत्र हो
दृढ प्रतिज्ञा सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ है,
बढे चलो बढे चलो 

असंख्य कीर्ति रश्मियाँ
विकीर्ण दिव्य दाह सी
सपूत मात्रभूमि के,
रुको न शूर साहसी 

अराती सैन्य सिन्धु में
सुवाढ़ वाग्नी से जलो
प्रवीर हो जयी बनो,
बढे चलो बढे चलो
- जय मा भारती
- आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य
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Tuesday, 18 November 2014

भाग मत कर प्रयास

असफलता घेरे तुझे..

मार्ग हों अवरुद्ध,

पास ना हो धन तेरे 

और कार्य हो अपार 

तो भाग मत कर प्रयास

कर प्रयास भाग मत 

चाहे तू हंस 

किंतु आँखे हो नम.....

भाग मत कर प्रयास

जीत में ही हार है 

रात में ही है दिन,

निकलेगा सूरज फिर क्षितिज पार 

भाग मत कर प्रयास

पीड़ा ही सुख है 

सुख ही है पीड़ा 

हार ही जीत है 

जीत ही है हार 

तो भाग मत कर प्रयास

कर प्रयास भाग मत 

भाग मत कर प्रयास 

कर प्रयास भाग मत.....

- आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्त


Monday, 17 November 2014

चिंतन

ईन्सान को जागृत अवस्था में चींतन करना जरुरी है,

ओर यही चींतन आपको सदैव जागृत रखेगा.

kutchpatel.blogspot.com


પંખીડાને આ પીંજરુ જૂનું જૂનું લાગે


પંખીડાને આ પીંજરુ જૂનું જૂનું લાગે
બહુ એ સમજાવ્યું તો યે પંખી નવું પીંજરુ માંગે

ઉમટ્યો અજંપો એને, પંડના રે પ્રાણનો
અણધાર્યો કર્યો મનોરથ દૂરના પ્રયાણનો
અણદીઠેલ દેશ જાવા, લગન એને લાગે
બહુ એ સમજાવ્યું તો યે પંખી નવું પીંજરુ માંગે

સોને મઢેલ બાજઠિયોને, સોને મઢેલ ઝૂલો
હીરે જડેલ વિંઝણો મોતીનો મોંઘો અણમોલો
પાગલના થઇએ ભેરુ, કોઇના રંગ લાગે
બહુ એ સમજાવ્યું તો યે પંખી નવું પીંજરુ માંગે

Friday, 14 November 2014

महामृत्युंजयमंत्र

ॐ त्रयंबकम यजामहे सुगंन्धी पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्

Friday, 7 November 2014

जय जय जननी श्री गणेश की

जय जय जननी श्री गणेश की
जय जय जननी श्री गणेश की
प्रतीभा परमेश्वर परेश की
प्रतीभा परमेश्वर परेश की
जय जय जननी श्री गणेश की

जय महेश मुख चंन्द्र चंन्द्रीका
जय जय जय जय जगत अंबीका
जय महेश मुख चंन्द्र चंन्द्रीका
जय जय जय जय जगत अंबीका

वर दे मा वरदान दायनी
वर दे मा वरदान दायनी
बनु दायकी द्वारीकेश 
जय जय जननी श्री गणेश की

शविनय विनती सुन हरी आये 
आये अपनाये ले जाये 
शविनय विनती सुन हरी आये 
आये अपनाये ले जाये

सुखद सुखद बेना आये मा 
सुखद सुखद बेना आये मा
सर्व सुमंगल ग्रीह पर्वेश की
सर्व सुमंगल ग्रीह पर्वेश की
जय जय जननी श्री गणेश की

प्रतीभा परमेश्वर परेश की
जय जय जननी श्री गणेश की
जय जय जननी श्री गणेश की


Tuesday, 4 November 2014

सबसो उंची प्रेम सगाई

सबसे उंची प्रेम सगाई, सबसे उंची प्रेम सगाई,
दुर्योधन का मेवा त्यागे,
दुर्योधन का मेवा त्यागे,
दुर्योधन का मेवा त्यागे,
सगा वीदुर घेर पाई.
सबसे उंची प्रेम सगाई,
सबसे उंची प्रेम सगाई......

जुठे फल सबरी के खाये,
जुठे फल सबरी के खाये,
जुठे फल सबरी के खाये,
बहु विध प्रेम लगाये, सबसे उंची प्रेम सगाई.......

प्रेम से बैठ अर्जुन रथ हाक्यो,
प्रेम से बैठ अर्जुन रथ हाक्यो,
प्रेम से बैठ अर्जुन रथ हाक्यो, भुल गये ठकुराई, सबसे उची प्रेम सगाई.......

एईसी प्रीत बडी वरदाना,
एईसी प्रीत बडी वरदाना,
एईसी प्रीत बडी वरदाना, 
गोपीयां नाच नचाई, सबसे बडी प्रेम सगाई.......

सुरा अकुरा ईस लायक नाही, 
सुरा अकुरा ईस लायक नाही, 
सुरा अकुरा ईस लायक नाही, 
सबसे उंची प्रेम सगाई,
सबसे उंची प्रेम सगाई........




बीनती सुनीये, नाथ हमारी;

      सुभद्रा द्वारा कृष्ण को पत्र 

      बीनती सुनीये....
      बीनती सुनीये, नाथ हमारी; बीनती सुनीये, नाथ हमारी,
      रदयेस्वर हरी रदयेस्वर हरी,
      रदयेस्वर हरी रदयेस्वर हरी;
      मोर-मुकुट पीतांम्बरधारी, बीनती सुनीये नाथ हमारी.

      जनम जनम की लगी लगन है, हो.....,
       जनम जनम की लगी लगन है,
      साक्सी तारोन भरा गगन है,
      गीन गीन स्वास आस कहेती है,
      आयेगा श्री कृष्ण मुरारी,
      बीनती सुनीये, नाथ हमारी,

      सतत प्रतीक्षा अपलक लोचन, हो ओ ओ,
      सतत प्रतीक्षा अपलक लोचन, हे भवबाधा, वीपती- वीमोचन, स्वागत का अधीकार दीजीये,

      सरणागत है नयन पुजारी,
      बीनती सुनीये, नाथ हमारी,

      ओर कहुं क्या अंतरयामी, हो ओ ओ,
      तन मन धन प्राणो के स्वामी;
      करुणा कर आखर येह कीजीये,
      स्वीकारी बीनती स्वीकारी,
      बीनती सुनीये, नाथ हमारी,
      हदयस्वर हरि हदयेस्वरी,
      हदयस्वर हरि हदयेस्वरी;
      मोर-मुकुट पीतांम्बरधारी, 
      बीनती सुनीये, नाथ हमारी;
      बीनती सुनीये, नाथ हमारी;
      बीनती सुनीये.........नाथ हमारी.

Monday, 3 November 2014

महेनत के फल मीठे होते है

नथु नाम का एक किसान था़, साथ में आलसी भी था, उसके पास एक खेत था, मगर कभी खेत में ध्यान देता नही, खेत में आम, पेरु, अनार ओर बहोत कीसम के फल के पेड थे, पर पानी ओर खात की कमी की वजह से सुक जाते थे, बाप दादा की महेनत की कमाई जमा पुंजी से घर चलाता था, आलसी नथु पुरा दिन आराम ही करता कोई काम काज करता ही नही.


एक दिन सोया था तभी उसे सपना आया की तेरे खेत में धन छुपाया है, खोदकाम करेगा तो मीलेगा ! सुबह होते ही नथु ओजार लेके खेत में पहुच गया, नथु के मन में यही था की एक बार धनदोलत मील जाये तो पुरी जींदगी कोई काम करने की जरुरत ना रहे, बस जलसा ही जलसा ! दुपेर होते ही नथु की ओरत खाना लेकर आई, खाना खाने की बजाय खोदकाम चालु रखा, धन मीलने की आशा में पुरा खेत खोद डाला, फीर भी धन नही मीला ओर नीराश होकर बैठ गया.


बरसो से खेत वैसे का वैसा ही पडा था मगर ये साल नथु ने धन की लालच में जमीन खोद डाली थी उपर से बारीस भी अच्छी हुई थी ओर भगवान की ईच्छा से पेड पे फल भी अच्छे लगे थे, टोकरे भर भर के फल बेचा था ओर ईश्वर का शुक्र मानता था, कभी ईतनी उपज देखी नही थी!


महेनत करने वाले को ईश्वर जरुर देता है !!

महेनत के फल मीठे होते है !!

महेनत करने वाला कभी दुखी नही होता. 

ली सीमा 


તમારું મુલ્ય કેટલું છે તે તમારી ઉપર નિર્ભર છે

એક યુવાને એના પિતાને પૂછ્યું કે પપ્પા આ માનવજીવનનું મૂલ્ય શુ છે ? પિતાએ જવાબમાં દીકરાના હાથમાં એક પથ્થર મુક્યો અને કહ્યું, "તું આ પથ્થર...