नथु नाम का एक किसान था़, साथ में आलसी भी था, उसके पास एक खेत था, मगर कभी खेत में ध्यान देता नही, खेत में आम, पेरु, अनार ओर बहोत कीसम के फल के पेड थे, पर पानी ओर खात की कमी की वजह से सुक जाते थे, बाप दादा की महेनत की कमाई जमा पुंजी से घर चलाता था, आलसी नथु पुरा दिन आराम ही करता कोई काम काज करता ही नही.
एक दिन सोया था तभी उसे सपना आया की तेरे खेत में धन छुपाया है, खोदकाम करेगा तो मीलेगा ! सुबह होते ही नथु ओजार लेके खेत में पहुच गया, नथु के मन में यही था की एक बार धनदोलत मील जाये तो पुरी जींदगी कोई काम करने की जरुरत ना रहे, बस जलसा ही जलसा ! दुपेर होते ही नथु की ओरत खाना लेकर आई, खाना खाने की बजाय खोदकाम चालु रखा, धन मीलने की आशा में पुरा खेत खोद डाला, फीर भी धन नही मीला ओर नीराश होकर बैठ गया.
बरसो से खेत वैसे का वैसा ही पडा था मगर ये साल नथु ने धन की लालच में जमीन खोद डाली थी उपर से बारीस भी अच्छी हुई थी ओर भगवान की ईच्छा से पेड पे फल भी अच्छे लगे थे, टोकरे भर भर के फल बेचा था ओर ईश्वर का शुक्र मानता था, कभी ईतनी उपज देखी नही थी!
महेनत करने वाले को ईश्वर जरुर देता है !!
महेनत के फल मीठे होते है !!
महेनत करने वाला कभी दुखी नही होता.
ली सीमा