हद़यस्पर्सी
एक पिता ने अपनी लाडकवाई बेटी की सगाई की, लडका संस्कारी था ओर लडके का पिता लडके से भी संस्कारी था लडकी का पिता भी ईनसानीयत भरे थे, ईस लीये लडकी के पिता को लडकी के लीये अच्छा लडका मील गया सर से वजन कम हो गया ओर हलकापन महेसुस कर रहे थे,
एक दिन लडकी के ससुराल वालो ने वेवाई(लडकी के पिता) को न्योता दीया,
तबियत अच्छी नही होने के बावजुद उनके घर महेमान बन कर गये, बेटी के ससुराल में आदर सन्मान के साथ आवकार मीला,
लडकी के पिता के लीये चाय आई, डोक्टर डायाबीटीस होने के कारण संभल कर रहने को कहा था ओर सक्कर वाली चाय पीने के लीये मनाई की थी पर नये संबंधी को बुरा न लगे ईस लीये चाय ले ली,
चाय की पहेली चुस्की ली तो घर जैसी ही चाय थी, सक्कर के बीना की एलाईची वाली, लडकी के पिता ने सोचा की मेरे स्वाद का ईनको पता कैसे चला ?
दोपहर को खाना खाने बैठे तभी डोक्टर जैसी सलाह दी थी वैसी ही रसोई थी, दोपहर को आराम की व्यवस्था, आराम करके उठे तो सोप (वरीयारी) वाला पानी सब घर जैसी ही व्यवस्था थी,
लडकी पिता को समझ में नही आ रहा की लडकी के ससुराल वालो को पता कैसे चला ?जब बेटी के ससुराल से विदा हुऐ तो पुछे बीना रह नही पाये की मुझे क्या खाना ? क्या पीना है ? कैसा स्वाद पसंद है ? ये सब आपको पता कैसे चला ?
बेटी के सास ने कहा, " कल सामको आपकी बेटी का कोल आ गया था उसने मुझे कहा था की मेरे पिताजी उनके स्वभाव के मुताबीक कुछ बोलेंगे नही पर उनकी तबीयत को ध्यान में रखते हुऐ कुछ बातो कों ध्यान में रखना है, आप मेरे पिताजी को संभालना" ये सुन कर पिताजी की आंख गीली हो गई,
लडकी के पिता घर पर आये ओर ड्रोईंग रुम में गये ओर स्वर्गस्थ मां के फोटो पर से हार हटा दीया, लडकी की मां ने कहा बा के फोटो से हार क्युं हटा दीया ?
आंख में आसु के साथ पति ने पत्नि को कहा की आज मुझे पता चला की मेरा ध्यान रखने वाली मां गई ही नही है, "अब घर में मां बेटी के रुप में रहेती है"
मित्रो, जीनके घर में बेटी होती है ना उन्हे दो मां का प्यार मीलता है एक जन्म देने वाली ओर दुसरी बेटी में रह कर पिता को जान की तरह संभालने वाली मां,
"बेटी केवल बेटी ही नही बल्की पिता की भी मां होती है"
अज्ञात
एक पिता ने अपनी लाडकवाई बेटी की सगाई की, लडका संस्कारी था ओर लडके का पिता लडके से भी संस्कारी था लडकी का पिता भी ईनसानीयत भरे थे, ईस लीये लडकी के पिता को लडकी के लीये अच्छा लडका मील गया सर से वजन कम हो गया ओर हलकापन महेसुस कर रहे थे,
एक दिन लडकी के ससुराल वालो ने वेवाई(लडकी के पिता) को न्योता दीया,
तबियत अच्छी नही होने के बावजुद उनके घर महेमान बन कर गये, बेटी के ससुराल में आदर सन्मान के साथ आवकार मीला,
लडकी के पिता के लीये चाय आई, डोक्टर डायाबीटीस होने के कारण संभल कर रहने को कहा था ओर सक्कर वाली चाय पीने के लीये मनाई की थी पर नये संबंधी को बुरा न लगे ईस लीये चाय ले ली,
चाय की पहेली चुस्की ली तो घर जैसी ही चाय थी, सक्कर के बीना की एलाईची वाली, लडकी के पिता ने सोचा की मेरे स्वाद का ईनको पता कैसे चला ?
दोपहर को खाना खाने बैठे तभी डोक्टर जैसी सलाह दी थी वैसी ही रसोई थी, दोपहर को आराम की व्यवस्था, आराम करके उठे तो सोप (वरीयारी) वाला पानी सब घर जैसी ही व्यवस्था थी,
लडकी पिता को समझ में नही आ रहा की लडकी के ससुराल वालो को पता कैसे चला ?जब बेटी के ससुराल से विदा हुऐ तो पुछे बीना रह नही पाये की मुझे क्या खाना ? क्या पीना है ? कैसा स्वाद पसंद है ? ये सब आपको पता कैसे चला ?
बेटी के सास ने कहा, " कल सामको आपकी बेटी का कोल आ गया था उसने मुझे कहा था की मेरे पिताजी उनके स्वभाव के मुताबीक कुछ बोलेंगे नही पर उनकी तबीयत को ध्यान में रखते हुऐ कुछ बातो कों ध्यान में रखना है, आप मेरे पिताजी को संभालना" ये सुन कर पिताजी की आंख गीली हो गई,
लडकी के पिता घर पर आये ओर ड्रोईंग रुम में गये ओर स्वर्गस्थ मां के फोटो पर से हार हटा दीया, लडकी की मां ने कहा बा के फोटो से हार क्युं हटा दीया ?
आंख में आसु के साथ पति ने पत्नि को कहा की आज मुझे पता चला की मेरा ध्यान रखने वाली मां गई ही नही है, "अब घर में मां बेटी के रुप में रहेती है"
मित्रो, जीनके घर में बेटी होती है ना उन्हे दो मां का प्यार मीलता है एक जन्म देने वाली ओर दुसरी बेटी में रह कर पिता को जान की तरह संभालने वाली मां,
"बेटी केवल बेटी ही नही बल्की पिता की भी मां होती है"
अज्ञात
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